सपा ने कुशवाहा समुदाय के प्रत्याशी बाबू सिंह कुशवाहा को उतारा है जिसके सहारे मुस्लिम-यादव-कुशवाहा समीकरण बनाने की कवायद की है। वहीं बसपा ने मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को उतारकर दलित-यादव गठजोड़ बनाने की कोशिश की है तो बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह के जरिए सवर्ण वोट हासिल करने का दांव चला है। धनंजय सिंह के बीजेपी के समर्थन में उतरने से ठाकुर वोटर एकजुट हो सकता है लेकिन दलित और मुस्लिम का साथ मिलना मुश्किल है। धनंजय के चुनाव लड़ने से जो मुस्लिम उनके साथ खड़ा था, वह अब सपा के पक्ष में जा सकता है। इसी तरह से श्याम सिंह यादव के उतरने से जौनपुर सीट पर यादव वोटों में बिखराव का खतरा बना हुआ है लेकिन कितनी संख्या में बसपा के साथ जाएगा, उस पर ही असल खेल टिका है। अब देखने वाली बात है कि संविधान बदलने का मुद्दा बनाकर इंडिया गठबंधन एनडीए को कैसे परास्त करती है।
संविधान बदलने का नरेटिव खड़ा कर सपा, भाजपा को धूल चटाने के फिराक में
