जौनपुर लोकसभा का क्या है इतिहास,जौनपुर लोकसभा से दो बार सांसद चुने गये थे पारसनाथ यादव

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1952 में कांग्रेस के बीरबल सिंह पहली बार बने थे सांसद
इस निर्वाचन क्षेत्र में ब्राह्मणों की संख्या सबसे अधिक
जौनपुर। इत्र की खुशबू और इमरती की मिठास वाले इस जिले का भी अपना एक अलग इतिहास है। फिरोज शाह तुगलक ने 14वीं शताब्दी में अपने भाई मुहम्मद बिन तुगलक की याद में इसे बसाया था। उस समय इसका नाम जौना खां रखा था। बाद में यह जौनपुर हो गया। जौनपुर के राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो यहां 1952 से ही लोकसभा चुनाव हो रहे हैं।


1952 में जब देश में पहली बार लोकसभा का चुनाव कराया गया तो जौनपुर सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार बीरबल सिंह विजयी हुए थे। इसके बाद के दो चुनावों में भी बीरबल सिंह को जीत मिली। जौनपुर वही सीट है जहां से दीनदयाल को हार झेलनी पड़ी थी। 1963 के चुनाव में जनसंघ सांसद ब्रह्मजीत सिंह के निधन के बाद जब इस सीट पर उपचुनाव कराए गए तो कांग्रेस के उम्मीदवार राजदेव सिंह ने दीन दयाल को कड़ी शिकस्त दी थी। राजदेव सिंह 1971 तक चुनाव जीतते रहे।

1971 के बाद से जौनपुर में केवल एक शख्स ऐसा था जिसे दोबारा जीत मिली और उनका नाम पारसनाथ यादव था। 1977 और 1980 में यह सीट जनता पार्टी के कब्जे में थी। 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमला प्रसाद सिंह को उम्मीदवार घोषित किया और उन्हें जीत भी मिली। 1989 में सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई और महाराजा यादवेन्द्र दत्त दुबे यहां से सांसद बने।


1991 में जनता दल से अर्जुन सिंह यादव, 1996 में बीजेपी से राजकेशर सिंह, 1998 में समाजवादी पार्टी से पारसनाथ यादव, 1999 में बीजेपी से स्वामी चिन्मयानंद, 2004 में सपा से पारसनाथ यादव, 2009 में बसपा से बाहुबली धनंजय सिंह, 2014 में बीजेपी से कृष्ण प्रताप सिंह और 2019 में बीएसपी से श्याम सिंह यादव सांसद बने।
2019 के चुनाव में सपा-बपसा एक साथ थे जिसका असर इस सीट पर देखने को मिला। यही वजह थी कि यूपी के बाकी जिलों में जीत बंपर जीत हासिल करने के बाद भी बीजेपी यह सीट नहीं जीत पाई और कृष्ण प्रताप सिंह को हार का सामना करना पड़ा जबकि 2014 में इन्हें जीत हासिल हुई थी।


जौनपुर सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो यहां ब्राह्मण वोटरों की संख्या अधिक है। 2019 में इस सीट पर करीब 243810 ब्राह्मण वोटर थे। दूसरे नंबर पर अनुसूचित जातियों के वोटर हैं। 2019 में इनकी संख्या 231970 के आस—पास थी। तीसरे नंबर पर मुस्लिम रहे और वोटरों की संख्या 221254 के आस—पास थी। क़रीब 191184 के आस—पास राजपूत वोटर भी थे।

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